ब्रह्मा, विष्णु और महेश एक साथ करते हैं इस झील में स्नान
सतोपंथ ताल
सतोपंथ झील उत्तरखंड में हिमालय पर्वत पर बसा एक हिमरूप झील है। चौखंबा शिखर की तलहटी पर बसा, यह उत्तराखंड के सुरम्य झीलों में से एक है।
सतोपंथ ताल
सतोपंथ झील से जुड़ी कथा
इस पवित्र धार्मिक झील से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से दो कथाएं सबसे ज़्यादा लोगों के बीच प्रसिद्द हैं।
झील के नाम सतोपंथ का अर्थ है, 'सतो' मतलब 'सत्य' और 'पंथ' मतलब 'रास्ता', यानि 'सत्य का रास्ता'। कथाओं के अनुसार महाभारत के पांडव भाई इसी 'स्वर्ग के रास्ते' से होते हुए स्वर्ग की ओर गए थे, इसलिए इस झील का नाम सतोपंथ झील पड़ गया। इसे धरती पर स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने स्वर्गारोहिणी(स्वर्ग की सीढ़ियां) से स्वर्ग जाने से पहले इसी स्थान पर स्नान ध्यान किया था। इसलिए यह स्थान हिन्दू धर्म के लोगों के बीच विशेष महत्व रखता है। कहा जाता है कि युधिष्ठिर को इसी झील के समीप स्वर्ग तक जाने के लिए 'आकाशीय वाहन' की प्राप्ति हुई थी और इसलिए यह झील सत्यपंथ झील कहा जाने लगा।
सतोपंथ के मार्ग से बलकुन पर्वत का एक दृश्य
त्रिभुजाकार झील से जुड़ी एक अन्य कथा
स्थानीय लोगों के मुताबिक, त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु महेश एकादशी के दिन इस झील में पधारे थे। तीनों देवताओं ने झील के अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर पवित्र डुबकी लगाई, इसलिए कहा जाता है कि यह झील त्रिभुज के आकार में है। इन्हीं कथाओं की वजह से सतोपंथ झील का हिन्दू धर्म में एक खास और बड़ा महत्व है| बद्रीनाथ से 25 किमी. दूर स्थित संतोपथ झील में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अशीर्वाद मिलता है। स्कंद पुराण में भी बताया गया है कि इस झील के तीनों कोनों पर तीनों देवताओं का वास है। मान्यता है कि हर साल सितंबर माह की एकादशी के दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश एक साथ इस झील में स्नान करते हैं। एकादशी में यहां स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। संतोपथ में स्नान करने वालों में विदेशियों की संख्या ज्यादा होती है।
सतोपंथ ग्लेशियर तथा भागीरथी खरक ग्लेशियर के समागम से नीलकंठ पर्वत का एक द्रस्य
सतोपंथ झील की ट्रेकिंग
सतोपंथ झील सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, उत्तराखंड का ट्रेकिंग क्षेत्र भी है। हिमालय की गोद में स्थित इस झील तक पहुंचने का रास्ता बेहद कठिन है। सतोपंथ ग्लेशियर में ट्रेकिंग के कई मुश्किल पड़ावों से गुज़ारना पड़ता है क्यूंकि ट्रेकिंग के दौरान आपको हिमालय क्षेत्र के कई ढलान, बीहड़ और ऊँचे-नीचे क्षेत्रों से गुज़रना होता है। यह ट्रेक माणा गाँव से शुरू होता हुआ वसुंधरा घाटी से गुज़रता है। सतोपंथ ग्लेशियर की पृष्ठभूमि में चौखंबा और स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रेणियां यहाँ की अंजान खूबसूरत अनछुई दृश्य का निर्माण करती हैं।
सतोपंथ ट्रैकिंग मार्ग का एक दृश्य
सतोपंथ में स्वच्छता अभियान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सतोपंथ में जब तक निर्मलता व स्वच्छता रहेगी तब तक ही उस झील का पुण्य प्रभाव रहेगा। यहाँ के एडवेंचर ट्रेकिंग जोशीमठ के टूर ऑपरेटर का कहना है कि सतोपंथ के धार्मिक महत्व को देखते हुए, यहाँ यात्रियों को रात में विश्राम करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
सतोपंथ झील पहुँचें कैसे?
सतोपंथ झील तक केवल ट्रेकिंग मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहाँ जाने से पहले आपको इनर लाइन परमिट के लिए आवेदन करना होगा क्यूंकि यह भारत-तिब्बत सीमा के नज़दीक ही स्थित है। बद्रीनाथ से यह लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सतोपंथ ग्लेशियर से जोशीमठ लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।